शासनादेश सख्या- 3306/12-8-133/76, दिनांक 14-07-1976 एवं शासनादेश सं0-687/ अस्सी- 2-2005-200(22)/1998 , दिनांक 13 जून, 2005 में निम्न प्रकार से उल्लिखित है-
1- प्रदेश के कृषको द्वारा उत्पादित कृषि पदार्थो की वैज्ञानिक आधार पर उचित विपणन व्यवस्था की दिशा में प्रयासों को गति प्रदान करना ।
2- कृषि विपणन की कार्य कुशलता में अभिवृद्धि करना ।
3- कृषि विपणन संगठन और मण्डी परिषद/मण्डी समितियों के कार्यो में उचित समन्वय स्थापित करना।
4- कृषि विपणन नीतियों को लागू करने के लिये शासकीय संस्था के रुप में कार्य करना ।
5- निर्यातकों एवं उत्पादकों को विभिन्न सुविधाओं हेतु समन्वय करना।
6- कृषि निर्यात को बढ़ावा देने हेतु निर्यातकों की गोष्ठियां एवं सेमिनार आदि अयोजित करना।
7- निर्यात को बढ़ावा देने हेतु फील्ड स्तर पर निर्यात योग्य आधिक्य की सम्भावनाओं का पता लगाना एवं समय समय पर आने वाली कठिनाइयों को दूर करने हेतु समुचित सुझाव देना।
8- शासन के कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग द्वारा समय समय पर सौंपे गये अन्य कार्य।
उपरोक्त मूल उद्देशयों को दृष्टिगत रखते हुये कृषि विपणन विभाग निम्न क्षेत्रों मे सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रहा है।