कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय, उ0प्र0
परिभाषा आवश्यकता तथा उनके प्रयोगः-
विस्तृत रूप में विपणन परिज्ञान बाजार की उन शक्तियों एवं साधानों पर प्रकाश डालती हैं जो बाजार प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जिनके द्वारा बाजार के ट्रेन्ड/रूझान का पता चलाता है।
विपणन परिज्ञान केवल आकड़ों के एकत्रीकरण तक ही सीमित नही है बल्कि इसके अन्तर्गत कीमत, आवक, व्यापार स्टाक, बाजार बिक्री राज्य तथा अन्र्तराष्ट्रीय आवागमन के आकड़ें एकत्र किये जाते है।
प्रकारः-
विपणन परिज्ञान को मुख्यतया दो भागों मे बाटा जा सकता है।
- वर्तमान बाजार स्थिति के सम्बंध में सूचना।
- उन साधनों के सम्बंध में सूचना जो बाजार के व्यवहार को अल्प एवं दीर्घ समय में प्रभावित करते हैं।
विपणन परिज्ञान के मुख्य सूचकः-
-
कीमतें
- आवक
- मांग
- पूर्ति
विपणन परिज्ञान के उद्देश्यः-
- उन शक्तियों के सम्बंध में जानकारी जो विशेष स्थितियों में सक्रिय होती है।
- विषम परिस्थितियों के भविष्यवाणी करती है।
- बाजार को प्रभावित करने के कारकों का पता करना।
- विपणन संगठन/संस्थाओं के कार्यो का मूल्यांकन करना।
- कृषि उपज के आयोग उत्पादन के लिये उचित निर्देशन।
- किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने मे सहायक।
- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर पूर्ति।
- मूल्यों में स्थिरता बनाये रखने मे सहायक।
विपणन परिज्ञान में सम्बंधित लाभार्थीः-
- सरकारी संगठन
- उत्पादक
- उपभोक्ता व्यापारी
- व्यापारी संगठन
- शोधकर्ता।
विपणन परिज्ञान की स्थितिः-
प्रदेश में विपणन प्रणाली के परिज्ञान हेतु 251 विनियमित मण्डियों तथा 371 उप मण्डियों में 259 विपणन परिज्ञान केन्द्र स्थापित है जिनके माध्यम से विपणन परिज्ञान के आंकड़ें सूचनायें संकलित की गयी है । संकलित सूचनाओं के आधार पर विभिन्न प्रकार की विश्लेषणात्मक आख्यायें प्रदेश व भारत सरकार के विभिन्न विभागों को शासकीय उपयोग एवं सरकारी नीतियों केनिर्धारण करने हेतु अपेक्षानुसार दैनिक, साप्ताहिक पाक्षिक व मासिक आधार पर उपलब्घ करायी जाती है। कृषि उपजों के दैनिक तथा साप्ताहिक थोक भाव समाचार-पत्र, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर प्रसारित कराये जा रहे है। साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक थोक भाव एवं आवक की समीक्षात्मक रिपोर्ट तैयार करायी जाती है ।
कृषि विपणन परिज्ञान की विभिन्न सूचनाओं का विवरण-
दैनिक-
- प्रमुख मण्डियों के दैनिक थोक, फुटकर भाव एवं आवक विवरणी।
- 75 राजस्व जनपद से आलू, प्याज, टमाटर, धान, गेहॅू के थोक एवं फुटकर भाव विवरणी।
पाक्षिक-
- कृषि विपणन परिज्ञान की मौसम, फसलों की दशा एवं खाद्य की पाक्षिक दशा
साप्ताहिक
- चयनित कृषि उत्पादों का साप्ताहिक बाजार भाव
- फल सब्जियों के थोक भाव व आवक
- आर्थिक बोध
- खाल एवं चमडा के थोक भाव
- कपास बिनौला एवं रुई के थोक भाव व आवक
- गुड़ खाण्डसारी एवं चीनी के थोक भाव व आवक
मासिक-
- कृषि विपणन विभाग के प्रमुख कार्यो की मासिक समीक्षा ।
- फल सब्जियों के मासिक औसत थोक भाव एवं आवक की समीक्षा।
- कृषि विपणन की मासिक बुलेटिन ।
- चयनित कृषि उत्पादों मासिक थोक भाव ।
- आर्थिक बोध परिषिष्ट जिन्सों के भाव ।
कृषि विपणन सूचना तंत्र एवं एगमार्कनेट-
यह परियोजना राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के तकनीकी सहयोग से भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है, जिसके अन्तर्गत चार चरणों पर उत्तर प्रदेश में 256 मण्डी नोडो पर कम्प्यूटर स्थापित किये गये है। समस्त राजस्व जनपदों तथा उन कृषि विपणन केन्द्रों से जहा निरीक्षक तैनात है। विपणन सूचनाये एगमार्कनेट पोर्टल/वेबसाइट www.agmarknet.nic.in पर प्रेषित की जाती है। माह दिसम्बर, 2017 में 251 कृषि विपणन केन्द्रों से सूचनायें प्रेषित की गई। उक्त सूचनाओ को प्राप्त कर किसान अपने उत्पाद को कहॉ एवं किस मूल्य पर बेचने का निर्णय ले सकते है।
उत्पादक स्तर पर कृषि उत्पाद का वर्गीकरण (वाणिज्यात्मक वर्गीकरण) -
कृषि मात्र जीवन यापन का साधन न रहकर व्यवसाय बन चुकने के फलस्वरुप कृषि उत्पादों की गुणवत्ता प्रबन्धन सम्बन्धी व्यवस्था अति आवश्यक हो गई है। उपज की बिक्री से मिलने वाला मूल्य निश्चित ही उपज की गुणवत्ता प्रबन्धन पर निर्भर करता है। वाणिज्यात्मक वर्गीकरण के वर्ग उसके भौतिक गुणों आन्तरिक क्षमता, आकार-भार, रंग स्वाद परिपक्वता] वाहय पदार्थ] भौतिक तथा कीडे मकोडे़ द्वारा हुई क्षति एवं अन्य गुणों के आधार पर निर्धारित किये गये है। उत्पादक स्तर पर वर्गीकरण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। क्योंकि वर्गीकरण उत्पादक विक्रेता को उसकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने में सहायक होने के साथ-साथ विभिन्न व्यापारिक प्रक्रियाओं यथा भण्डारण यातायात आदि में भी सहायक होता है। वर्तमान समय में प्रदेश की 251 विनियमित मण्डियों में से 111 मण्डियों में वर्गीकरण इकाई की स्थापना करके वर्गीकरण का कार्य सम्पन्न कराया जा रहा था।
वाणिज्यात्मक वर्गीकरण के लाभ-
- वर्गीकृत उपज का उसकी गुणवत्ता के अनुसार मूल्य बगैर वर्गीकृत उपज की तुलना में अधिक प्राप्त होता है।
- वर्गीकृत उत्पाद की बिक्री से उपज का कोई भी भाग व्यर्थ नही जाता है। जैसे सुडौल दाने में मिले हुये सिकुडे़ दाने] अलग पशु आहार आदि बनाने वालों को बेचकर उनका अलग मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
- बिक्री के पश्चात् भाव के संबंध में विवाद उत्पन्न होने की सम्भावना नही रहती है।
- वर्गीकृत उत्पाद की बिक्री में कोई अनुचित कटौती नही की जा सकती है।
- इससे के्रताओं/उपभोक्ताओं को अपनी पसन्द की उपज प्राप्त हो जाती है।
- वर्गीकृत उपज के भण्डारण में सुविधा होती है तथा भण्डार गृहों की अधिकृत रसीद पर ऋण मिलने में सुविधा होती है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM) योजना का संक्षिप्त परिचय
(E-NAM) योजना किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी की एक महत्वाकांक्षी योजना है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (NAM) एक देश व्यापारी इलेक्ट्रानिक टेªडिंग पोर्टल है जो वर्तमान ए0पी0एम0सी0 और अन्य बाजार स्थानों को जोडकर कृषि उत्पादों के लिये एक राष्ट्रीय एकीकृत बाजार तैयार करता है।
NAM पारम्परिक मण्डियों को लिंक करेगा जिससे उन तक आनलाइन पहुचां जा सकता है। इससे राज्य के बाहर मौजूद खरीददार भी वहीं से बैठे बैठे स्थानीय स्तर पर कारोबार कर सकते है।
अब तक (E-NAM) ने 13 राज्यों में 455 मण्डियों में कृषि उत्पादों की इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग शुरु कर दी है जिसमें 100 मण्डियां उत्तर प्रदेश की है। लक्ष्य है कि मार्च 2018 से पहले देशभर की 585 मण्डियों को ई-नाम के जरिये जोडकर व्यापक बाजार तक पहुँच बनाई जा सकेगी।
(E-NAM) की विशेषतायें-
- नियंत्रित बाजारों किसान मण्डियों] वेयरहाउसों और निजी बाजारों में पारदर्शी बिक्री] लेनदेन और कीमतों का पता लगाने के लिये अच्छा प्लेटफार्म है।
- व्यापारियों खरीददारों और राज्य प्राधिकारियों के लिये उदार लाइसेसिंग।
- वास्तविक समय में कीमतों का पता।
- बिचैलियों की भूमिका कम करना।
- व्यापारी का एक लाइसेंन्स लेना राज्य भर के सभी बाजारों में वैध।
- व्यापारियों को देशभर में बोली लगाने का मौका हर एक बाजार में कृषि उपज के गुणवत्ता प्रमाणन और परख करने (गुणवत्ता जांच) के लिये आधारभूत संरचना।
दिनांक- 14-4-2016 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM) योजना के प्रथम चरण में प्रदेश की 06 मण्डियों यथा- लखीमपुर] सुल्तानपुर] बहराइच] मथुरा] ललितपुर एवं सहारनपुर को विडियों कान्फ्रेसिंग के द्वारा ई-आक्सन (इलेक्ट्रानिक व्यापार पोर्टल) का उद्घाटन किया गया है] जिसमें खाद्यान्न] दलहन] तिलहन एवं फल सब्जियों के 21 जिन्सों के ट्रेडेबिल पैरामीटर्स निर्धारित किये गये थे। इन मण्डियों में ई-आक्सन पोर्टल द्वारा व्यापार शुरु किया गया। दिनांक 30 सितम्बर 2016 को पुनः द्वितीय चरण में 60 मण्डियों का चयन किया गया तथा तृतीय चरण में दिनांक- 1-4-2017 से 34 अन्य मण्डियों का चयन किया गया वर्तमान में कुल 100 मण्डी समितियों में जिसमें खाद्यान्न] दलहन] तिलहन एवं फल सब्जियों आदि के 90 जिन्सों का वर्गीकरण (म्.छ।ड) के अन्तर्गत विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय] भारत सरकार द्वारा निर्धारित ट्रेडेबिल पैरामीटर्स के आधार पर किया जा रहा है। इस तरह वर्तमान में कुल 100 मण्डियों में वर्गीकरण किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में मण्डी समिति एवं कृषि विपणन विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM) योजना संचालित हो रही है। कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय उ0प्र0 द्वारा इन 100 मण्डियों में विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार एसेयिंग प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है। इन प्रयोगशालाओं में विपणन एवं निरीक्षण निदेशाला भारत सरकार द्वारा प्रशिक्षित एसेयिंग निरीक्षकों की नियुक्ति कृषि विपणन निदेशालय द्वारा की गई है। इन निरीक्षकों द्वारा ई-नाम के अन्तर्गत एसेयिंग का कार्य सम्पादित किया जा रहा है। मण्डियों में आने वाली कृषि जिन्सों की आवक से मण्डी सचिव तथा उनके कर्मचारियों द्वारा लाट क्रियेट की जाती है। क्रियेट की गयी लाट से कृषि विपणन विभाग के एसेयिंग निरीक्षक द्वारा नीलामी प्लेट फार्म से कृषि जिन्स का नमूना निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार लिया जाता है। कृषि जिन्स के लिये गये नमूनें को कृषि विपणन विभाग के एसेयिंग निरीक्षक द्वारा एसेयिंग प्रयोगशाला में विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय भारत सरकार द्वारा निर्धारित ट्रेडेबल पैरामीटर्स के अनुसार वर्ग निर्धारण किया जाता है तथा उक्त सूचना कम्प्यूटर में फीड करा देते है] जो राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना की वेबसाइट www.enam.gov.in पर पूरे देश में दिखायी पडती है और देश के अन्दर किसी भी मण्डी का व्यापारी अपनी बोली निर्धारित ग्रेड के अनुसार कम्प्यूटर में फीड कर सकता है। तत्पश्चात् आन लाइन बीडिंग के द्वारा बिक्री सुनिश्चित करते हुये आन लाइन भुगतान किये जाने का प्राविधान है।
वित्तीय वर्ष 2016-17 में ई-नाम के अन्तर्गत 57,785 नमूनों की एसेयिंग की गई जिससे 2,38,456.77 मीट्रिक टन कृषि उपज का वर्गीकरण किया गया। वित्तीय वर्ष 2017-18 में माह दिसम्बर 2018 तक 1,63,186 नमूनों की एसेयिंग की गई जिससे 4,49,261.91 मीट्रिक टन कृषि उपज का वर्गीकरण इस योजना के अन्तर्गत कराया गया है।
ई-नाम (E-NAM) के अन्तर्गत 100 मण्डी समितियों की सूची
क्रम संख्या |
मण्डल का नाम |
चयनित मण्डी का नाम |
1 |
मेरठ |
मेरठ,
सहारनपुर,
मुजफफरनगर,
गाजियाबाद ,
हापुड,
जहांगीराबाद,
बुलन्दशहर,
दादरी,
खुर्जा |
2 |
झांसी |
झांसी,
ललितपुर,
महोबा,
राठ,
कोंच,
भरुआसुमेरपुर,
मुस्करा,
बादां,
जालौन, उरई |
3 |
बरेली |
बरेली,
पीलीभीत, शाहजहांपुर, ऊझांनी, बिल्सी, बिलासपुर, मिलख,
मुरादाबाद, बदायूँ, चन्दौसी , बीसलपुर, पूरनपुर, रामपुर, पुवायां |
4 |
लखनऊ |
लखनऊ, बागरमऊ, लखीमपुर , गोलागोकरर्णनाथ, सीतापुर , महमूदाबाद,
हरदोई , तिकोनिया, पलियांकला, शाहाबाद, माधौगंज, रायबरेली, जायस |
5 |
कानपुर |
कानपुर, इलाहाबाद , फर्रुखाबाद ,भरथना, बिन्दीकी, अजुहा, इटावा, औरैया, कन्नौज, छिबरामऊ, कायमंगज, चैबेपुर |
6 |
आगरा |
आगरा, हाथरस, अलीगढ, मथुरा, मैनपुरी, सिरसागंज, खैर, कासगंज, एटा, कोसीकला, अछनेरा, घिरौर,
शिकोहाबाद, टुण्डला, छर्रा, फतेहपुर सीकरी |
7 |
फैजाबाद |
फैजाबाद, अकबरपुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ, गोण्डा, बहराइच, बाराबंकी, सफदरगंज, नानपारा |
8 |
गोरखपुर |
गोरखपुर, देवरिया, परतावल, बस्ती, आजमगढ, कोपागंज, खलीलाबाद |
9 |
वाराणसी |
वाराणसी, रार्बटसगंज, चन्दौली, शाहगंज,जंगीपुर, मिर्जापुर,बलिया, |
उत्तर प्रदेश में एगमार्क वर्गीकरण
उत्तर प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। इसका विस्तृत क्षेत्रफल देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 9 प्रतिशत है तथा यहां देश की कुल आबादी का 17 प्रतिशत के लगभग निवास करती है। यहां के उपभोक्ताओं के लिये प्राथमिकता के आधार पर अच्छी गुणवत्ता वाले तथा बिना मिलावट के खाद्य पदार्थो की उपलब्धता अत्यन्त आवश्यक है। आर्थिक उदारीकरण के नये माहौल में सरकार निजी क्षेत्र के उ|मियों को रियायत और विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन देकर ग्रामीण व शहरी निजी क्षेत्र के उ|मियों को रियायत और विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन देकर ग्रामीण व शहरी जनता के लिये नई-नई नीतियां प्रारम्भ कर रही है। राज्य में खाद्य पदार्थो के उदारीकरण के माहौल में प्रदेश को आदर्श रुप में विकास के पथ पर लाया जाय। उत्तर प्रदेश देश में सदा से सामाजिक आर्थिक] सांस्कृतिक और अन्य क्षेत्र में अगुआ रहा है। इसी तरह उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्वोच्च स्थान पर विकसित रुप से प्रदेश को दिया जाना आवश्यक है।
गुणवत्ता नियंत्रण के लिये "एगमार्क"
उपभोक्ताओं एवं आम जनता के अPNs स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिये पहला चरण शुद्ध और अच्छे खाद्य पदार्थो को सुलभ कराना है। भारत सरकार द्वारा जो स्वास्थ्य नीति बनाई गई है] उसमें खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता नियंत्रण और उनकी सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया गया है। खाद्य पदार्थो की सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं/आम जनता को शुद्ध और पौष्टिक खाद्य पदार्थ सुलभ कराना है] जिससे कि उन्हे जालसाजी तथा धोखाधड़ी से बचाया जा सके और स्वस्थ्य व्यापारिक परम्पराओं को बढावा दिया जा सके। कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण और चिन्हांकन) अधिनियम] 1937] उपभोक्ताओं/आम जनता की स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी अधिनियम है। भारत सरकार का विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय] आन्तरिक खपत के लिये एगमार्क श्रेणीकरण को बढाने और उपभोक्ताओं को मिलावटी खाद्य पदार्थो से बचाने के लिये इस अधिनियम के माध्यम से अथक प्रयास कर रहा है। "एगमार्क" कृषि पदार्थो की गुणवत्ता और शुद्धता के प्रतीक के रुप में लोकप्रिय है। यह चिन्ह कृषि उत्पादों यथा- गेहूँ का आटा] मैदा] सूजी] दालें] पिसे मसाले] घी] मक्खन] खाद्य तेल] शहद] इमली] फल]अण्डे आदि पर उनकी शुद्धता हेतु लगा होता है। "एगमार्क" लेबल या चिन्ह को उत्पाद की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच के बाद ही लगाया जाता है।
दैनिक उपयोग के खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृद्धि के कारण कम कीमत के मिलावटी और घटिया पदार्थो को बेचने की प्रवृत्ति बढती जा रही है। मूल्य dh दृष्टि से थोडा सस्ते होने पर भी मिलावटी कृषि पदार्थ स्वास्थ्य की दृष्टि से उपभोक्ताओं/आम जनता को बहुत महंगे पडते है क्योकि मिलावटी कृषि पदार्थो से कई तरह की बीमारियाँ पैदा होती है। "एगमार्क" का चिन्ह कृषि पदार्थो की गुणवत्ता और शुद्धता की जांच के बाद ही लगाया जाता है। अतः यह निःसन्देह कहा जा सकता है कि एगमार्क लेबल का प्रतिकृति लगे हुये कृषि खाद्य पदार्थ शुद्ध होते है तथा इसमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नही होती है।
1- एगमार्क वर्गीकरण-
क्रम सं0 |
वर्ष |
कृषि पदार्थ का नाम |
लक्ष्य (कु0) |
पूर्ति ((कु0) |
1 |
2012-13 |
केन्द्रित/विकेन्द्रित कृषि खाद्य पदार्थ |
25350 |
33594-00 |
2 |
2013-14 |
केन्द्रित/विकेन्द्रित कृषि खाद्य पदार्थ |
28500 |
35390-53 |
3 |
2014-15 |
केन्द्रित/विकेन्द्रित |
40000 |
39486-68 |
4 |
2015-16 |
केन्द्रित/विकेन्द्रित कृषि खाद्य पदार्थ |
50000 |
38521-38 |
5 |
2016-17 |
केन्द्रित/विकेन्द्रित कृषि खाद्य पदार्थ |
55300 |
46357-88 |
6 |
2017-18 |
केन्द्रित/विकेन्द्रित कृषि खाद्य पदार्थ |
62000 |
44281-12 (दिसम्बर 2017 तक) |
उत्तर प्रदेश में कार्यरत एगमार्क प्रयोगशालायें-
एगमार्क के अन्तर्गत श्रेणीकरण को लोकप्रिय बनाने एवं अधिक से अधिक पैकरों को इसकी परिधि में लाने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के विभिन्न जिलों में राज्य श्रेणीकरण प्रयोगशालाओं की स्थापना की है। वर्तमान में अधोलिखित प्रयोगशालायें कार्यरत है-
मण्डी परिषद द्वारा वित्त पोषित एगमार्क वर्गीकरण प्रयोगशालायें-
-
कानपुर
- गोरखपुर
- झांसी
- इलाहाबाद
- बरेली
- मुरादाबाद
- गाजियाबाद
- मथुरा
शासकीय एगमार्क वर्गीकरण प्रयोगशालायें-
कृषि विदेश व्यापार -
प्रदेश में कृषि निर्यात को बढावा देने के उद्देश्य से शासन द्वारा कृषि विपणन निदेशालय को शासनादेश सं0 687/अस्सी-2-2005/200-(22)1998 लखनऊ दिनांक- 13 जून 2015 द्वारा विभाग का नाम कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय परिवर्तित करते हुये अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है।
शासन द्वारा चावल निर्यात नीति बनाई गई है] जिसमें विभाग द्वारा सहयोग किया गया है। विभाग द्वारा शासन को विभिन्न कृषि निर्यात नीतियों का समय बढाने आदि के संदर्भ में सुझाव देने का भी कार्य किया जा रहा है। मसूर छांटी निर्यात नीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण सूचनायें/मूल्यांकन कर शासन को निदेशालय के पत्रांक- स0कृ0वि0कृ0वि0व्या0/186/09-10 दिनांक- 16 जून 2009 द्वारा परामर्श भेजा गया है।
शासन के कार्यालय ज्ञाप सं0 1169/अस्सी-2-2012-02(12)2000 दिनांक 07-11-2012 द्वारा उत्तर प्रदेश चावल निर्यात नीति वर्ष 2012-17 जारी की गई थी। जिसमें किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं को विकसित करने तथा विदेशी मुद्रा अर्जित करने के निमित्त चावल के निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शासन के कार्यालय ज्ञाप सं0 20/2015/02(12)2000 दिनांक- 28-9-2015 द्वारा शासन के पूर्व कार्यालय ज्ञाप दिनांक- 15-10-2013 को अतिक्रमित करते हुये उसके स्थान पर निदेशक कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय उ0प्र0 को सक्षम प्राधिकारी नामित करने तथा फर्मो के भौतिक सत्यापन हेतु प्रदेश के प्रत्येक जनपद में अपर जिलाधिकारी (वि0-रा) की अध्यक्षता में निम्नांकित समिति गठित की गई थी-
1 |
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) |
अध्यक्ष |
2 |
वाणिज्यकर अधिकारी |
सदस्य |
3 |
संबंधित मण्डी सचिव (जिस मण्डी समिति में फर्म स्थिति हो) |
सदस्य |
4 |
ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक एवं कृषि विपणन निरीक्षक/
सहायक कृषि विपणन निरीक्षक
|
सदस्य सचिव |
शासन के उपरोक्त कार्यालय ज्ञाप दिनांक- 28-9-2015 के क्रम में निदेशालय द्वारा अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) की अध्यक्षता में गठित कमेटी से विभिन्न जिलों की 113 फर्मो का भौतिक सत्यापन कराकर शासन को सूचित किया गया। जिस पर शासन द्वारा फर्मो के स्थाई पंजीकरण करने के संबंध में निर्णय लिया गया।
वर्तमान समय में शासन के कार्यालय ज्ञाप सं0 70-2017-640-अस्सी-2-2017-2(12) 2000 दिनांक- 28-12-2017 द्वारा उ0प्र0 चावल निर्यात प्रोत्साहन योजना (2017-22) लागू की गई है।
लेखा-
विभाग में संचालित योजनाओं का विवरण एवं प्राविधान / स्वीकृति के सापेक्ष व्यय
अनुदान सं0 -11- लेखा शीर्षक -2435 - अन्य कृषि कार्यक्रम - 01-विपणन तथा गुणवत्ता नियन्त्रण-101- विपणन सुविधायें।
|
रु0 लाखों में
क्र0 सं0 |
विभाग का नाम |
योजना का नाम |
योजना की वित्तीय स्थिति |
वित्तीय वर्ष 2015-16 |
वित्तीय वर्ष 2016-17 |
वित्तीय वर्ष 2017-18 माह दिसम्बर 17 तक स्थिति |
बजट प्राविधान |
व्यय |
बजट प्राविधान |
व्यय |
बजट प्राविधान |
व्यय |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय उ0प्र0 |
03- कृषि उत्पादन का क्रय-विक्रय संगठन- मतदेय |
1374.41 |
1207.87 |
1420.97 |
1287.42 |
1765.55 |
1203.63 |
भारित |
0.05 |
0 |
0.05 |
0 |
0.05 |
0 |
04- बाजार विनियमन एवं प्रशिक्षण केन्द्र- |
232.04 |
182.70 |
231.88 |
190.90 |
288.49 |
184.02 |
05- कृषि विपणन से संबंधित मण्डलीय तथा जनपदीय कार्यालय- |
65.06 |
41.80 |
67.47 |
42.54 |
83.43 |
38.29 |
योग |
मतदेय |
1671.51 |
1432.37 |
1720.32 |
1520.86 |
1520.86 |
1425.94 |
भारित |
0.05 |
0 |
0.05 |
0 |
0.05 |
0 |
नोट-उपरोक्त योजनायें राजस्व मद की है।
मकान किराया भत्ता
क्र0सं0 |
ग्रेड वेतन/वेतनमान(रू0) |
श्रेणी-ए,बी-1 तथा बी-2 के नगरो में |
श्रेणी-सी के नगरो में |
अवर्गीकृत श्रेणी के क्षेत्र |
वर्तमान दर |
संशोधित दर |
वर्तमान दर |
संशोधित दर |
वर्तमान दर |
संशोधित दर |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
1 |
1300 |
900 |
1080 |
450 |
540 |
300 |
360 |
2 |
1400 |
930 |
1120 |
465 |
560 |
310 |
380 |
3 |
1650 |
980 |
1180 |
490 |
590 |
325 |
390 |
4 |
1800 |
1100 |
1320 |
550 |
660 |
365 |
440 |
5 |
1900 |
1160 |
1400 |
580 |
700 |
385 |
470 |
6 |
2000 |
1200 |
1440 |
600 |
720 |
400 |
480 |
7 |
2400 |
1470 |
1770 |
735 |
890 |
490 |
590 |
8 |
2800 |
1670 |
2010 |
830 |
1000 |
555 |
670 |
9 |
4200 |
2020 |
2430 |
1010 |
1220 |
670 |
810 |
10 |
4600 |
2760 |
3320 |
1380 |
1660 |
920 |
1110 |
11 |
4800 |
2810 |
3380 |
1405 |
1690 |
935 |
1130 |
12 |
5400 |
3150 |
3780 |
1575 |
1890 |
1050 |
1260 |
13 |
6600 |
3780 |
4540 |
1890 |
2270 |
1260 |
1520 |
14 |
7600 |
4480 |
5380 |
2240 |
2690 |
1490 |
1790 |
15 |
8700 |
6910 |
8300 |
3455 |
4150 |
2300 |
2760 |
16 |
8900 |
7280 |
8740 |
3640 |
4370 |
2430 |
2920 |
17 |
10000 |
8200 |
9840 |
4100 |
4920 |
2730 |
3280 |
18 |
वेतनमान 67000-79000 |
9200 |
11040 |
4600 |
5520 |
3000 |
3600 |
19 |
वेतनमान 80000 नियत |
10500 |
12600 |
5250 |
6300 |
3500 |
4200 |
नोट-उपरोक्त संशोधित दरें दिनांक 01.08.2016 से प्रभावी हैं .
नगर प्रतिकर भत्ते
ग्रेड वेतन (रूपया) |
नगर प्रतिकर भत्ते की दरे (रूपया) |
कानपुर,लखनऊ, नोयडा तथा ग्रेटर नोयडा क्षेत्र (नगरीय क्षेत्र |
वाराणसी, मेरठ, आगरा तथा इलाहाबाद (नगरीय क्षेत्र) |
बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर,
मुरादाबाद तथा अलीगढ़
(नगरीय क्षेत्र)
|
शेष जिला मुख्यालय तथा अन्य नगर जिनकी आबादी एक लाख या उससे अधिक है। (नगरीय क्षेत्र) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
1300 से 1800 तक |
170 |
120 |
80 |
50 |
1900 से 2800 तक |
240 |
180 |
120 |
80 |
4200 से 4800 तक |
360 |
270 |
180 |
120 |
5400 तथा इससे अधिक ग्रेड वेतन
एवं उच्चतर वेतनमान
|
450 |
360 |
300 |
200 |
वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर।